कैप्टन सौरभ कालिया उस समय कारगिल क्षेत्र में काकसर नाम के स्थान पर 4 जाट बटालियन में तैनात थे। युद्ध में उनको पाकिस्तानी सेना द्वारा युद्धबन्दी के रूप में पकड़ लिया गया। जेनेवा कन्वेन्शन के नियम कि युद्धबन्दी के विरूद्ध पूरी तरह सम्मान एवं सहानुभूति से व्यवहार किया जाए, का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान फौज द्वारा उनको दिल दहला देने वाली यातनाएं दी गईं। उनके शरीर को जलती हुई सिगरेट से जलाया गया, उनके कान के पर्दों को गर्म सलाखों से फोड़ दिया गया, आंखों को पहले सलाखों से फोड़ा गया एवं उसके बाद निकाल लिया गया। उनके सारे दांत और शरीर की तमाम हड्डियां तोड़ दी गईं, उनके सर की हड्डी भी तोड़ दी गई। उनके होठों को काट लिया गया एवं नाक को भी काट दिया गया। उनके हाथों, पैरों एवं गुप्तांगों को काट दिया गया और उसके बाद उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनका क्षत- विक्षत पार्थिव शरीर भारत को सौंपा गया। इस वीभत्स सच्चाई को सुनकर इंसानियत शर्मसार हो जाती है।
हम अमर शहीद कैप्टन सौरभ कालिया को इनके देश एवं देश की जनता के लिए किए गए बलिदान के बदले कुछ नहीं दे सकते सिवाय इसके कि हम संकल्पित हैं कि हम इनको कभी नहीं भूलेंगे एवं इनके परिवार को अपना परिवार मानकर उन्हें सदैव मान-सम्मान एवं हृदय में स्थान देंगे।
अमर शहीद कैप्टन सौरभ कालिया को सादर नमन एवं जय हिन्द।




