शहीद स्मारक एवं उपवन क्लब - स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविदयालय परिसर

 

आम जनता को यह अवगत कराना आवश्यक है कि भारत को स्वतन्त्रता बिना खड्ग, बिना ढ़ाल के ना तो मिली और ना ही एयर कन्डीशन्ड कमरों में या सभागारों में बैठकर मीठी-मीठी बातों से उसकी सुरक्षा की जा रही है। भारत को स्वतन्त्रता असंख्य वीरों के बलिदानों के फलस्वरूप मिली है एवं आज भी देश के भीतर एवं देश की सीमाओं पर उसकी प्रतिदिन सुरक्षा सिपाहियों एवं सैनिकों के बलिदानों से की जा रही है। हमारा यह दायित्व है कि हम ऐसे वीरों के परिवारों, जिन्होंने देश को स्वतन्त्रता दिलाने एवं उसकी रक्षा करने के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया हो समाज में विशेष सम्मान दिलवाएं एवं उनको हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराएं। ऐसे सैनिकों के परिवारों को भी उचित मान-सम्मान, संरक्षण दिलाया जाए जोकि सीमा पर विषम परिस्थितियों में रहकर भी हमारे देश की रक्षा कर रहे हैं।

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Death Anniversary

Battle Casualty

मेजर विजित कुमार सिंह, शौर्य चक्र (मरणोपरांत) का जन्म उत्तर प्रदेश के झाँसी में हुआ था। वे सेना में शामिल हुए और उन्हें आर्टिलरी रेजिमेंट की 17 (पैराशूट) फील्ड रेजिमेंट में नियुक्त किया गया। 2001 के दौरान उनकी यूनिट आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए असम में तैनात थी । 04 अक्टूबर 2001 को उनकी यूनिट ने असम-मणिपुर सीमा के पास एनएससीएन (आईएम) के विद्रोहियों से निपटने के लिए एक खोज और विनाश अभियान शुरू किया जिसका नेतृत्व मेजर विजित कुमार सिंह को सौंपा गया । योजना के अनुसार मेजर विजित कुमार अपनी टीम के साथ निर्धारित स्थान पर पहुंचे और संदिग्ध क्षेत्र की घेराबंदी कर दी। इसी दौरान विद्रोहियों ने उनकी टीम पर हमला कर दिया। दोनों ओर से भीषण गोलीबारी हुई जिसमें मेजर विजित कुमार सिंह ओर उनकी टीम ने दो विद्रोहियों को मार गिराया। परन्तु इसी दौरान वे खुद गंभीर रूप से घायल हुए ओर शहीद हो गए। मेजर विजित कुमार को उनकी असाधारण बहादुरी, धैर्य, लड़ाई की भावना और सर्वोच्च बलिदान के लिए वीरता पुरस्कार "शौर्य चक्र" (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया । स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय की ओर से मेजर विजित कुमार सिंह, शौर्य चक्र (मरणोपरांत) को उनकी पुण्यतिथि पर बारंबार नमन ! स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय की ओर से उनकी पुण्यतिथि पर बारंबार नमन!

Battle Casualty

कैप्टन प्रेमजीत रॉकपा, शौर्य चक्र (मरणोपरांत) का जन्म 18 अप्रैल 1951 को हिमाचल प्रदेश के लाहौल जिले में हुआ था। 1969 में वे सेना में एक सिपाही के रूप में शामिल हुए। सेना में प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और एसएसबी की तैयारी भी शुरू कर दी। कठिन परिश्रम के बाद 05 दिसम्बर 1972 को वे आर्मी कैडेट कॉलेज में शामिल हुए और 05 दिसम्बर 1976 को उन्हें भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में 9 पैराशूट रेजिमेंट में नियुक्त किया गया। वर्ष 1981 में कैप्टन प्रेमजीत को नंदा देवी की जुड़वां चोटियों पर ऑल पैराट्रूपर्स अभियान का हिस्सा बनने के लिए बुलाया गया । इसी अभियान के दौरान 04 अक्टूबर 1981 को वे शहीद हो गए। उनका शव दूरबीन की मदद से देखा गया था परन्तु बरामद नहीं किया जा सका।कैप्टन प्रेमजीत रॉकपा को उनकी वीरता, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सर्वोच्च बलिदान के लिए वीरता पुरस्कार "शौर्य चक्र" (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय की ओर से उनकी पुण्यतिथि पर बारंबार नमन!

04 अक्टूबर 2015: 6 राष्ट्रीय राइफल्स के लांस नायक गुरदेव सिंह और लांस नायक बोट्टा सत्यम जम्मू एंड कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में एक सफल ऑपरेशन के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गये। दोनों ने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविधालय की ओर से लांस नायक गुरदेव सिंह और लांस नायक बोट्टा सत्यम को उनकी पुण्यतिथि पर बारंबार नमन !

Birth Anniversary


मेजर केतन शर्मा का जन्म 4 अक्टूबर 1987 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था। 2012 में वे सेना में भर्ती हुए और उन्हें 57 इंजीनियरिंग रेजिमेंट में तैनात किया गया। 2019 के दौरान उन्हें 19 राष्ट्रीय राइफल्स जो आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में तैनात थी, उसमें नियुक्त किया गया । 17 जून 2019 को सुरक्षा बलों को खुफिया सूत्रों से आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी मिली और एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया गया, मेजर केतन शर्मा जिसका हिस्सा थे। उग्रवादियों ने भागने के लिए सुरक्षा बलों पर गोलीबारी कर दी जिसमें मेजर केतन के सिर पर गोली लग गई और वे वीरगति को प्राप्त हो गए। उन्होंने ऑपरेशन के दौरान उच्च कोटि का साहस एवं नेतृत्व का प्रदर्शन किया और देश की सेवा में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय की ओर से जयंती पर बारंबार नमन !

नायक कौशल यादव, वीर चक्र (मरणोपरांत) का जन्म 04 अक्टूबर 1969 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में हुआ था । वे सेना में शामिल हुए और उन्हें 9 पैरा (एसएफ) में नियुक्त किया गया। 1999 के दौरान नायक कौशल यादव को "ऑपरेशन विजय" के तहत कारगिल के द्रास सेक्टर में तैनात थे। 25 जुलाई 1999 को एक टीम के स्क्वाड कमांडर के रूप में नायक कौशल यादव को द्रास सेक्टर में ज़ुलु टॉप पर कब्ज़ा करने का काम सौंपा गया था। नायक कौशल ने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना दुश्मन पर भारी गोलीबारी की जिसमे दुश्मन के पांच सैनिकों को मार गिराया। इसी दौरान वे गंभीर रूप से घायल हुए और शहीद हो गए। उनकी उत्कृष्ट वीरता, दृढ़ संकल्प, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें वीरता पुरस्कार "वीर चक्र" (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया । स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविधालय की ओर से नायक कौशल यादव, वीर चक्र (मरणोपरांत) को उनकी जयंती पर बारंबार नमन ! स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय की ओर से जयंती पर बारंबार नमन !

Remembering the INA Soldiers

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Our endeavour is to spread awareness for the forthcoming generations to learn and recognise the sacrifice made by our young officers and men of the Armed Forces and an attempt to honour them by remembering them.

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Gallery - Glimpses of remembering the Bravehearts!

Lets salute the martyrs for the sacrifices they made and thank them for saving our freedom.

Pricing -Membership Plans

General (सामान्य सदस्यता)

  • सदस्यों को यह अधिकार होगा कि वह शहीद उपवन में निःशुल्क प्रवेश कर सकें एवं भ्रमण कर सकें।
  • सदस्यों को शहीद उपवन एवं स्मारक परिसर की कैन्टीन में 10 प्रतिशत छूट के साथ भोज्य पदार्थ उपलब्ध होंगे।
  • सदस्यों को शहीद उपवन एवं स्मारक परिसर की दुकान पर उपलब्ध सामग्री 10 प्रतिशत छूट के साथ उपलब्ध होगी।
  • सदस्यों को मार्स रिसोर्ट्स हाॅटल तस्मय भोजनालय में 10 प्रतिशत छूट की दर से भोज्य उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • सभी सदस्यों को शहीदों एवं महापुरूषों की जयन्ती, पुण्यतिथि एवं विशिष्ट तिथियों को स्मरण कराने हेतु सूचनाएँ भेजी जाएंगी ताकि उन सूचनाओं से अपने परिवार के युवाओं, बच्चों को संस्कारित कर सकें एवं अपने मित्रों को भी सूचना दे सकें।
Rs.1,000 (Annually)
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Amazing place

Amazing place. Gives a sense of patriotism in yourself once you visit the Subharti Shaheed Smarak & Upwan.

Mukul Aggarwal

Visitor

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Magnificent Place

This magnificent place is situated at Subharti University Campus and it is especially filled with the spirit of national pride.

Sara Khan

Visitor

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Feel of Patriotism

There are many more stories regarding the patriotism of Indian people & many more monuments to glorify that too. Standing at this place all those stories made me remember how privileged & honored the Indians feel when it comes to talk about their patriotism.

Sagar Kumar

Visitor

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